देहरादून और ऋषिकेश में भारत यात्रा
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और ऋषिकेश में शुक्रवार को भारत यात्रा का जबरदस्त स्वागत और सम्मान किया गया। बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए हजारों लोगों को सड़कों पर देखा गया और उन्होंने “सुरक्षित बचपन,सुरक्षित भारत” के जोरदार नारे लगाएं। सबसे पहले देहरादून के ग्राफिक हिल युनिवर्सिटी में एक रैली निकाली गई, जिसमें बच्चों, उनके अभिभावकों, युवा,महिलाओं और भारत यात्रा के यात्रियों की प्रमुखता से भागीदारी रही। रैली के बाद युनिवर्सिटी के मुख्य सभागार में एक जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा के मंच पर नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी,श्री सत्यार्थी की धर्मपत्नी श्रीमती सुमेधा कैलाश,उत्तराखंड सरकार के मंत्री, भाजपा के विभिन्न प्रदेश अधिकारी और अनेक धर्मगुरुओं की गरिमामयी उपस्थिति थी। यहां भी धर्मगुरुओं की मौजूदगी से यही साबित होता है कि बाल अधिकारों के लिए समाज के सभी वर्गां में आम सहमति बन रही है और सभी ने बाल हिंसा के खिलाफ लोगों से एकजुट होने की अपील की। ऋषिकेश में भी भारत यात्रा के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
देहरादून के ग्राफिक हिल युनिवर्सिटी के मुख्य सभागार में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एक भी बच्चा जब तक इस देश का असुरक्षित है तब तक यह देश भी सुरक्षित नहीं है। भारत की असली तरक्की तभी होगी जब इस देश के सभी बच्चे सुरक्षित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत यात्रा का मुख्य मकसद बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ देशव्यापी जागरुकता फैलाना है। लोगों की चुप्पी को तोड़ना है, मन से डर को दूर करना है। उन्होंने कहा कि बाल हिंसा जैसी महामारी के खिलाफ लोगों को अब अपनी आवाज बुलंद करनी होगी तभी भारत बच्चों के लिए सुरक्षित होगा। श्री सत्यार्थी ने कहा कि विदेशों में लोग जब उनसे पूछते हैं कि भारत में तो अनेक समस्याएं हैं, तो उनका जवाब होता है कि भारत में अगर समस्याएं हैं तो उनके समाधान के रास्ते भी लाखों हैं। उन्होंने इस अवसर पर युवाओं से आह्वान किया कि आपके पास समाधान हैं, आप बदलाव के वाहक हैं और आप ही चैम्पियन और हीरो हैं और बाल हिंसा की इस महामारी को आप ही दूर करेंगे। नोबेल विजेता ने कहा कि हम भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना चाहते हैं, सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं और इसके लिए आप युवाओं को साथ आना होगा।
उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने भारत यात्रा का कारवां निकालने के लिए श्री कैलाश सत्यार्थी को बधाई दी और कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उनको हरसंभव मदद मुहैया कराई जाएगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता श्री महेंद्र पांडेय ने कहा कि स्कूलों में हम नोबेल पुरस्कार प्राप्त रवींद्रनाथ टैगोर और सीवी रमण का ही नाम पढ़ते थे। और ये अक्सर विदेशों में ही रहते थे। लेकिन कैलाश सत्यार्थी ऐसे नोबेल पुरस्कार विजेता हैं जो हमारे लिए सर्वसुलभ हैं और जिनसे कोई भी मिल सकता है। और ऐसी विभूति जब कुछ करता है तो हमें चाहिए कि उनका साथ दें।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व महामंत्री श्रीहरि बोर्रिकर ने कहा कि लोगों को जागरुक करने के साथ-साथ बाल अधिकारों के लिए बने कानूनों को भी लागू करवाना होगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत बनाने के अभियान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् पूरी तरह भारत यात्रा के साथ है।
पांचजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने कहा कि श्री कैलाश सत्यार्थी जी की बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ भारत यात्रा को हमको समर्थन करना चाहिए। इस अवसर पर श्री शंकर ने कहा कि दीपावली का त्योहार आ रहा है जिसमें लोग सालभर का हिसाब-किताब और अपने नफे-नुकसान का आकलन करेंगे। लेकिन कैलाश जी ही एक ऐसे आदमी हैं जो समाज के हित में अपना लाभ देखते हैं। दीपावली में लक्ष्मी की पूजा होती है लेकिन लक्ष्मी स्वरूपा जो हमारी बेटियां हैं वही यौन शोषण का शिकार हो रही हैं जिसको हमें रोकना होगा।
ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के चिदानंद सरस्वती ने कहा कि अगर हम बचपन को बचाना चाहते हैं तो विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और स्कूलों, सबको मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सब अपने घर को साफ करते हैं लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो समाज और देश की भलाई के लिए काम करते हैं। ऐसे में श्री कैलाश सत्यार्थी याद आते हैं जिन्होंने देश की हरेक जाति, धर्म, वर्ग और क्षेत्र के बच्चों के लिए काम किया है और एक मिसाल कायम की है।
ऋषिकेश डिवाइन फाउंडेशन की डॉ.साध्वी सरस्वती ने कहा, “नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर है और उनके नाम को चरितार्थ किया है श्री कैलाश सत्यार्थी जी ने, जिनका काम असल में नोबेल है।“ साध्वी सरस्वती ने कहा, “भारत में 3.50 करोड़ बच्चों को स्कूल जाने का अवसर ही नहीं मिल पाता है। ऐसे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए और बाल हिंसा के खिलाफ अगर श्री सत्यार्थी“भारत यात्रा” जैसा देशव्यापी जागरुकता अभियान चला रहे हैं तो हमें उनका तन-मन-धन से साथ देना चाहिए।“
मंच पर नोबेल विजेता की धर्मपत्नी श्रीमती सुमेधा कैलाश, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय भट्ट, भाजपा नेता श्री उमेश अग्रवाल, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री योगेंद्र खंडूरी और डॉ.कमल बंसाला जैसे गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे। यहां श्री कैलाश सत्यार्थी का भव्य सम्मान किया गया।
जनसभा के बाद भारत यात्रा का कारवां ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचा। जहां के धर्मगुरु श्री चिदानंद सरस्वती ने गंगा आरती उतारी और कहा कि बाल हिंसा को खत्म करने के लिए हम यह आरती उतार रहे हैं और उन्होंने “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” के लिए प्रार्थना की। श्री सरस्वती ने इस मौके पर नोबेल विजेता के उस वक्तव्य को उद्धृत करते हुए कहा कि बच्चे अगर ईश्वर के हस्ताक्षर हैं, तो बच्चों को हरेक हाल में सुरक्षित करना होगा। आरती के बाद परमार्थ निकेतन में एक सत्संग का आयोजन किया गया। सत्संग के बाद सवाल-जवाब का सत्र भी यहां हुआ और श्री कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के सवालों के जवाब दिए। श्री सत्यार्थी ने बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि गरीबी के कारण बच्चों का शोषण नहीं हो रहा है और गरीबी ही बाल मजदूरी के लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि बाल मजदूरी के कारण गरीबी बढ़ती है। अनेक सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर बाल मजदूरों के पिताओं को रोजगार मिल जाए तो बाल मजदूरी की नौबत ही नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि चूंकि बाल मजदूरों के पिता बेरोजगार होते हैं इसलिए उनके बच्चों को मजदूरी करनी पड़ती है और जिससे गरीबी बढ़ती है। बाल हिंसा के खिलाफ बने कानूनों के बारे में उन्होंने बताया कि इसके लिए भारत में विदेशों से कहीं ज्यादा कानून हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता है और लोगों को कानूनों के बारे में कोई जानकारी भी नहीं है।
जनसभा से पहले देहरादून के ग्राफिक हिल युनिवर्सिटी में एक रैली निकाली गई जिसमें बच्चों, उनके अभिभावकों, युवाओं, महिलाओं और भारत यात्रा के यात्रियों ने बाल हिंसा के खिलाफ जोरदार नारे लगाएं।
सुबह में चंडीगढ़ से देहरादून जाने के क्रम में भारत यात्रा के यात्रियों का पोंटा साहिब में भी भव्य सम्मान किया गया। यहां एक रैली भी निकाली गई। रैली शहर के मुख्य चौक से पोंटा साहिब गुरुद्वारा तक निकाली गई। लोग घरों की मुंडेर और छत से रैली को बड़े कौतूहल से देख रहे थे। बीच में एक स्कूल में भी भारत यात्रा के कारवां का स्कूली बच्चों ने स्वागत किया।
कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक से 11 सितंबर,2017 को शुरू हुई भारत यात्रा अब तक 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए लगभग 10,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुकी है। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में होगा, जहां भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोबिंद और भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने का स्वप्न देखने वाले नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी देश के अन्य गणमान्यों के साथ होंगे। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है।
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