जयपुर, जालंधर और लुधियाना में भारत यात्रा
“मुरझाए चेहरे फूल से खिल उठे हैं,
उगने लगे हैं भोर के सूरज बुझी आंखों में।
मैं देख रहा हूं तुम भी देखो,
मेरे भारत यात्रियों,
ये तुम्हारे भीतर दहकते आक्रोश के सूरज हैं
तुम्हारे दिलों की करुणा के फूल हैं।
देखो सड़कों पर लाशें मुट्ठी भींचे चल रही हैं।
सुनो, मर्यादा की पट्टियां खोलकर
गूंगे मुंह बोल पड़े हैं।
यह चमत्कार किसी ईश्वर का नहीं
तुम्हारे फौलादी पैरों की ताकत से
जिंदा हो गई हैं लाशें,
तुम्हारी हुंकार से जी उठी हैं आवाजें।
तुम्हारा आक्रोश, तुम्हारी करुणा,
तुम्हारे पैर, तुम्हारी हुंकार, और तुम,
अमर हो चुके हो, मेरे साथियों।“
-कैलाश सत्यार्थी
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी बच्चों के हक के लिए देश दुनिया में कई यात्राएं निकाल चुके हैं। अभी वे बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार को खत्म करने के लिए पिछले एक माह से भारत यात्रा पर हैं। उनका साथ देने के लिए उनके साथ सैकड़ों भारत यात्री हैं। ये भारत यात्री हजारों किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और अभी उनको और हजारों किमी की यात्रा करनी है। धूप, गरमी,सर्दी और बरसात भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही हैं। इनके लिए ना तो खाने का कोई ठिकाना है, और ना ही रहने का कोई ठौर। फिर भी इनके चेहरों पर कोई शिकन नहीं है। इनके हरेक कदम पहले से कहीं ज्यादा फौलाद बन रहे हैं। इनकी आंखों की चमक बरकरार है और बाल हिंसा के खिलाफ नारे लगाती इनकी भिंची मुठ्ठियां कहीं और ज्यादा तन गई हैं, तो इन सबके पीछे है श्री कैलाश सत्यार्थी की भारत यात्रियों के लिए समय-समय पर लिखी ऐसी प्रेरणास्पद कविता उत्साहवर्धक बातें,जो उनमें ताकत, दम और संजीवनी का संचार कर देती है। “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” का सपना तो उनकी आंखों में पहले से है ही।
बुधवार को इतिहास रचा गया। दुनिया में सबसे बड़ी कक्षा लेने का गवाह इस दिन जयपुर बना। जयपुर के डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने बाल यौन शोषण और इससे सुरक्षा के सवाल पर सबसे बड़ी कक्षा ली। इस कक्षा के माध्यम से नोबेल विजेता ने प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके से करोड़ों बच्चों को बाल यौन शोषण से अपनी सुरक्षा कैसे करें, इसके उपाय बताएं।
श्री कैलाश सत्यार्थी ने पिंक सिटी जयपुर के डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के सभागार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के लोग दूसरी महामारियों के बारे में तो खूब बोलते हैं लेकिन बाल यौन शोषण जैसी महामारी पर चुप हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह महामारी हमारे घरों के अंदर प्रवेश कर चुकी है और जिसको नजदीकी रिश्तेदार ही अंजाम देते हैं और हम इस महामारी को खत्म करने के लिए घर-घर का दरवाजा खटखटाएंगे और बच्चों के माता-पिता से अनुरोध करेंगे कि वे इस अभियान में हमारा साथ दें। उन्होंने कहा कि यह कैसा देश है जहां शक्ति के लिए दुर्गा, विद्या के लिए सरस्वती और धन के लिए लक्ष्मी की उपासना और पूजा की जाती है लेकिन जैसे ही देवी स्वरूपा बच्ची के साथ बलात्कार होता है,तो उस बच्ची से कहा जाता है कि तुम्हारी इज्जत लूट गई और अब तुम कलंकिनी हो गई। नोबेल विजेता ने आक्रोश में आते हुए कहा कि अरे इज्जत तो उन लुटेरों और अपराधियों की लूटती है जो बलात्कार करता है। उन्होंने कहा कि यह सब अब इस देश में नहीं चलेगा।
श्री सत्यार्थी ने इस अवसर पर 13 साल की उस बच्ची का हवाला दिया जिसके साथ उसका पिता ही बलात्कार करता था और जिसको एक दिन अपने पिता के खिलाफ पुलिस में जाना पड़ा। उन्होंने चार साल की सलमा का भी उदाहरण दिया जिसके साथ उसके कैब ड्राइवर ने ही बलात्कार किया। उन्होंने कहा कि यह ऋषि-मुनियों, संतों-महात्माओं, गौतम बुद्ध,महावीर, महात्मा गांधी और दयानंद सरस्वती का देश है और यह सब इस देश में नहीं चलने दिया जाएगा। उन्होंने बाल यौन शोषण को मिटाने के लिए सुरक्षित घर और सुरक्षित स्कूल की जरूरत पर भी बल दिया। बाल हिंसा के खिलाफ चुप्पी तोड़ने, अपनी आवाज बुलंद करने और अदालतों में भी जाने का उन्होंने आग्रह किया।
इस मौके पर एक स्कूली बच्ची ने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए सवाल और अपनी व्यथा बताई कि उस स्थिति में बाल हिंसा की शिकार कोई बच्ची क्या करे जब उसके साथ हुए अन्याय को ना तो उसके घर के लोग सुनने को तैयार हों और ना पुलिस ही उसकी रिपोर्ट दर्ज करती हो। बच्ची की बात सुनकर श्री सत्यार्थी द्रवित हुए और उन्होंने उस बच्ची को भरोसा दिया कि मैं तुम्हारी बात राजस्थान पुलिस से करूंगा और खुद तुम्हारे मामले को देखूंगा।
डीएवी स्कूल के मुखिया पद्मश्री श्री पूनम सुरी ने इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे स्कूल के 20,00,000 बच्चे,60,000 शिक्षक और पूरा आर्य समाज बच्चों के अधिकारों के लिए श्री सत्यार्थी और उनकी भारत यात्रा के साथ है। उन्होंने बाल हिंसा को खत्म करने के लिए घर के अंदर भी जागरुकता फैलाने का आह्वान किया।
मशहूर उद्योगपति श्री राहुल बजाज ने कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि लोग गरीबी, असमानता, और आतंकवाद पर तो खूब बोलते हैं लेकिन बच्चों की समस्याएं जो बड़ी समस्याएं हैं उनके खिलाफ अकेले श्री सत्यार्थी बोलते हैं। उन्होंने श्री सत्यार्थी को भारत यात्रा का कारवां निकालने की बधाई दी। मंच पर नोबेल विजेता की धर्मपत्नी श्रीमती सुमेधा कैलाश की उपस्थिति अंत तक बनी रही। कार्यक्रम की शुरुआत में श्री सत्यार्थी और श्री पूनम सूरी का राजस्थानी पगड़ी पहनाकर सम्मान भी किया गया। हजारों बच्चों और लोगों के बीच मंच से बाल हिंसा के खिलाफ एक नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया गया। जयपुर में बुधवार को सबसे पहले एक विशाल रैली निकाली गई जो आम्रपाली सर्कल से वैशाली नगर तक चली। राजस्थान के इतिहास में वर्षों तक इस रैली को याद रखा जाएगा।
जयपुर के पब्लिक स्कूल में नोबेल विजेता ने बच्चों की सुरक्षा के सवाल पर बुधवार को दुनिया की सबसे बड़ी कक्षा ली और उन्हें गुड टच, बैड टच और “नहीं” कहने की जानकारी दी। बच्चों के अधिकारों पर भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रावधानों की भी जानकारी उन्होंने बच्चों को दी और कहा कि इसके बावजूद भी यदि कोई आपके साथ हिंसा करता है तो अदालतों का दरवाजा खटखटाएं। पॉस्को में भी जाने की उन्होंने सलाह दी। नोबेल विजेता ने कहा कि हमारे पास कानून और संविधान की जितनी ज्यादा जानकारियां होंगी हम उतने ही सुरक्षित होंगे। उन्होंने बच्चों के सपनों को कुचलने को सबसे बड़ी हत्या बताया। भारत सरकार की उस स्वीकारोक्क्ति का भी उन्होंने यहां उल्लेख किया कि बच्चे सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्पत्ति हैं। नोबेल विजेता की बाल यौन शोषण के खिलाफ ली गई इस कक्षा से एक ओर जहां 15,000 बच्चों को सीधे-सीधे लाभ हुआ है, वहीं दूसरी ओर देश के चार करोड़ से अधिक बच्चे भी इस कक्षा से परोक्ष तरीके से लाभान्वित हुए हैं। बाल यौन शोषण के खिलाफ देश के छह अन्य राज्यों में भी यह कक्षा ली गई। इस तरह की कक्षा देश के आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, केरल,तेलंगाना, असम और झारखंड के शिक्षकों ने ली। इसमें एनपीएस और आईपीएससी के 400 से अधिक स्कूलों के बच्चे शामिल हैं। यह पूरे देश में एक मॉडल के तौर पर उभरेगा, इसकी चारों ओर चर्चा शुरू हो गई है। श्री सत्यार्थी की इस कक्षा में पुलिस महकमा, राज्य सरकार के अधिकारी और बच्चों की सुरक्षा को संरक्षित करने वाले कार्यकर्ता भी शामिल थे।
जनसभा के बाद जयपुर की पूर्णिमा युनिवर्सिटी में एक रैली का आयोजन किया गया जहां के हजारों बच्चों ने बाल अधिकारों के लिए जोरदार नारे लगाएं।
उधर जालंधर के लारेंस स्कूल में भी भारत यात्रा के यात्रियों का स्वागत किया गया और एक जनसभा का आयोजन किया गया। यहां भारत यात्रा के यात्रियों ने लोगों को सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत के महत्व के बारे में बताया और कहा कि बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार को रोकने के लिए जन-जागरुकता अभियान चलाना भारत यात्रा का एक बड़ा उद्देश्य है। उन्होंने भारत यात्रा के अभियान से लोगों को जुड़ने की भी अपील की और बाल अपराधों के खिलाफ चुप्पी तोड़ने और अपनी आवाज बुलंद करने की बात कही। यहां “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” की शपथ भी दिलाई गई। बच्चों के द्वारा गाया गीत “दूर गगन में उड़ने का सपना है,हथेली से बादल को छूने का अरमान है…” वर्षों तक याद रखा जाएगा। लारेंस स्कूल के इस कार्यक्रम के आयोजक थे स्कूल के चेयरमैन श्री जोध राज गुप्ता और जालंधर वेलफेयर एसोसिएशन के सुरेंदर सैनी। इससे पहले पठानकोट में भी भारत यात्रा के यात्रियों का स्थानीय बाल सुरक्षा अधिकारी और उनकी टीम द्वारा स्वागत किया गया।
लुधियाना से खबर है कि वहां के पंजाब एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के सभागार में एक जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील श्री एचएस फुल्का ने कहा कि लुधियाना बाल मजदूरी के बड़े हबों में से एक है इसीलिए यहां ज्यादा काम करने की जरूरत है। उन्होंने श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े गए अधिकांश मुकदमों में उनके साथ रहने की भी बात कही। बच्चों को हिंसा से बचाने और उनका सहयोग करने के वास्ते चाइल्ड हॉटलाइन बनाने की जरूरत पर भी उन्होंने बल दिया। सभा को संबोधित करते हुए असिस्टेंट कमीश्नर ग्रीवान्सेस श्रीमती पूनमजीत कौर ने कहा कि उन्होंने पिछले तीन महीनों में 90 बाल मजदूरों को आजाद कराया है। जाहिर है यह निश्चित रूप से भारत यात्रा का परिणाम है। श्रीमती कौर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बाल हिंसा से बच्चों का मानसिक विकास तो रुकता ही है साथ ही वे अनियमितता के भी शिकार हो जाते हैं। इस स्थिति में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ दोस्ताना रवैया अपनाएं और उनके मन की बातों को जानें। सभा को आम आदमी पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस ने भी संबोधित किया और बाल हिंसा को रोकने के लिए भारत यात्रा से लोगों को जुड़ने का आह्वान किया। इस अवसर पर सभागार में स्कूली बच्चों ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के “हम निकल पड़े हैं/ निकल पड़े हैं/ दिल में हिंदुस्तान लिए/हम निकल पड़े हैं/ पैरों को फौलाद बना हम निकल पड़े हैं…जैसे गीत गाकर लोगों में ऊर्जा का संचार कर दिया।
कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक से 11 सितंबर, 2017 को शुरू हुई भारत यात्रा अब तक 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए लगभग 9000 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में होगा, जहां भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोबिंद और भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने का स्वप्न देखने वाले नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी देश के अन्य गणमान्यों के साथ होंगे। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है।