हम निकल पड़े हैं…
निकल पड़े हैं, निकल पड़े हैं, निकल पड़े हैं।
खेतों और खलिहानों से हम निकल पड़े हैं
फैक्टरी और दुकानों से हम निकल पड़े हैं
हाथों में अंगार लिए, हम निकल पड़े हैं।
तोड़ के चुप्पी, भींच के मुट्ठी निकल पड़े हैं।
स्कूलों और कॉलेजों से निकल पड़े हैं
दफ्तर और मकानों से हम निकल पड़े हैं…
भारत यात्रा के रचयिता श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा लिखित इस “मार्च सांग” के एक-एक शब्द आज हरियाणा की सड़कों पर अपने मायने बिखेर रहे थे। रेवाड़ी की सड़कों पर उमड़े हुजूम को देख कर लग रहा था कि सच में लोग खेत-खलिहान, फैक्ट्री दुकान, दफ्तर और मकान से बाल हिंसा के सर्वनाश के लिए मुठ्ठी भींच कर निकल पड़े हैं। हरियाणा के रेवाड़ी, झज्जर और रोहतक का नजारा आज बदला हुआ था। तीनों जगह रैली और जनसभा का आयोजन किया गया। सूरज जैसे ही दोपहरी की तरफ बढ़ने लगा, वैसे ही रेवाड़ी के लोग धूप और गर्मी की चिंता किए बगैर सड़कों पर इकट्ठा होने लगे। और देखते देखते हजारों लोगों का काफिला विशाल रैली की शक्ल में बदल गया। रेवाड़ी के पायलट चौक से ओसवाल चौक तक की रैली का नेतृत्व भले ही नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री केलाश सत्यार्थी जी कर रहे थे, लेकिन लोगों की निगाहें रैली के आगे-आगे जोश और उत्साह के साथ नारेबाजी करती हुई एक महिला पर टिक जा रही थीं। घर की छतों और खिडकियों से घूंघट की ओट से हरियाणा की बहुएं इस महिला को बड़े ही कौतूहल से देखे जा रही थी। हरियाणा के घोर पारंपरिक समाज में ऐसे किसी महिला का और वह भी बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए सड़कों पर नारेबाजी करते हुए आवाज बुलंद करना, एक दुर्लभ घटना है। भीड़ के आगे-आगे और श्री कैलाश सत्यार्थी के साथ कदम से कदम मिलाकर नारेबाजी करनेवाली यह महिला कोई और नहीं श्री सत्यार्थी जी की धर्म पत्नी श्रीमति सुमेधा कैलाश जी थीं।
कहा जाता है कि बड़ा काम करने वालों के पीछे उनकी पत्नी का हाथ होता है। जीवनसाथी अगर आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हों तो आप ऊंचे आसमान और गहरे सागर के भी पार जा सकते हैं। वे पिछले 40 सालों से बाल हिंसा के खिलाफ “भारत यात्रा” के कारवां को उसी मुस्तैदी और चुस्ती-फुर्ती से आगे बढ़ा रही हैं जिस तरह से श्री कैलाश सत्यार्थी। “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” बनाने के लिए जनसभाओं के मंचों पर तो वे अपनी सशक्त और मजबूत उपस्थिति दर्ज कर ही रही हैं। वह रैलियों में गर्जना करते हुए बाल अधिकारों के लिए एक से एक नारे लगाती हैं- “मेक इंडिया, सेफ इंडिया”, “बाल अत्याचार नहीं चलेगा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा”, “बाल यौन शोषण बंद करो, बंद करो, बंद करो।”
शनिवार को हरियाणा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जगहों पर भारत यात्रा के कारवां का जबर्दस्त स्वागत किया गया। हरियाणा के रेवाड़ी, झज्जर और रोहतक में आज कई कार्यक्रम किए गए। वहीं दूसरी ओर यह उत्तर प्रदेश के मुज़्ज़फ़्फ़रनगर, मेरठ और गाजियाबाद में भी कई कार्यक्रम हुए। इन जगहों पर जनसभाओं और रैलियों के माध्यम से “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” बनाने के लिए जागरुकता फैलाने की पुरजोर अपील की गई।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के टेगौर सभागार में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे ही हमारे अति विशिष्ट व्यक्ति (वीवीआईपी) होते हैं और उनका ही जीवन असुरक्षित है। उन्होंने कहा कि बच्चों को सुरक्षित करने के लिए ही हमने भारत यात्रा जैसा महा-अभियान चलाया है और आपको इस महा- अभियान में शामिल होकर बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ घर-घर में जागरुकता फैलानी है। बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार को उन्होंने नैतिक महामारी की तरह लिया और कहा कि जब तक यह महामारी देश से खत्म नहीं हो जाती, तब तक मैं हरेक घर का दरवाजा खटखटाता रहूंगा और उन दानवों को जेल की सलाखों के पीछे भेज कर रहूंगा जो बच्चों को तबाह कर रहे हैं।
नोबेल विजेता ने इस अवसर पर यूनिसेफ और भारत सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 53 फीसदी बच्चे यौन शोषण के शिकार हैं और इनमें तकरीबन 90 फीसदी बच्चे ऐसे होते हैं जिनका शोषण उनके नजदीकी रिश्तेदार ही करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब अब नहीं चलेगा और हमें इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी, चुप्पी तोड़नी होगी और अपने मन से भय को दूर करना होगा। उन्होंने यहां उन अनेक बच्चियों का उदाहरण पेश किया जिनका यौन शोषण उनके नजदीकी रिश्तेदार ही करते रहे। श्री सत्यार्थी ने कहा कि इसके खिलाफ हमारे प्रयास यदि इसी तरह जारी रहे तो एक दिन यह महामारी भी दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आज से 20 साल पहले दुनिया में 24 करोड़ बाल मजदूर थे लेकिन आज उनकी संख्या घटकर 17 करोड़ रह गई है। श्री सत्यार्थी ने यहां सरकार से बाल दुर्व्यापार के खिलाफ कानून को जल्द से जल्द पारित कराने की मांग की। उन्होंने बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए हरेक जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाने की मांग की।
रोहतक विश्वविद्यालय के सभागार में हरियाणा के राज्यपाल और कुलाधिपति श्री कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति हैं। बच्चे अगर घर और परिवार में नहीं हों तो वह घर और परिवार खुशहाल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि बच्चे अगर खुशहाल और सुरक्षित हों तो देश और संसार भी खुशहाल और सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि बाल हिंसा के खिलाफ श्री कैलाश सत्यार्थी ने जो भारत यात्रा जैसा जन-जागरुकता अभियान चलाया है उसका हमें पुरजोर समर्थन करना चाहिए।
हरियाणा की महिला एवं बाल अधिकार मंत्री श्रीमती कविता जैन ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बाल हिंसा के खिलाफ हमारे राज्य में जो कानून बने हुए हैं उसको हम पूरी तरह से लागू करने की कोशिश करेंगे। इस अवसर पर श्रीमती जैन ने बाल मजदूरी और बाल हिंसा से राज्य सरकार की ओर से मुक्त कराए गए बच्चे-बच्चियों का भी हवाला दिया और कहा कि सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत के इस अभियान को हमारी सरकार और राज्य की ओर से पूरा समर्थन है।
जनसभा को राज्य सरकार के मंत्री श्री मनीष ग्रोवर, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्री बीके गोयल और अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया। मंच पर नोबेल विजेता की धर्मपत्नी श्रीमती सुमेधा कैलाश की गरिमामयी उपस्थिति अंत तक बनी रही। यहां श्री सत्यार्थी का भव्य स्वागत और सम्मान किया गया। यहां “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” बनाने की लोगों को शपथ भी दिलाई गई।
आज 13 सितंबर को भारत यात्रा का कार्यक्रम हरियाणा के रेवाड़ी से आरंभ हुआ। रेवाड़ी के पायलट चौक से एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें स्कूली बच्चों,उनके अभिभावकों, युवा, महिलाओं और भारत यात्रियों ने बाल हिंसा के खिलाफ जोरदार नारे लगाएं। इसके बाद भारत यात्रा झज्जर पहुंची और वहां एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। झज्जर में लोगों को “सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” की शपथ दिलाई गई। झज्जर से पदयात्रा करते हुए भारत यात्रा का कारवां रोहतक पहुंचा और वहां भी एक रैली का आयोजन किया गया। बाद में रैली महर्षि दयानंद विवि के टैगोर सभागार में जनसभा में तब्दील हो गई। रेवाड़ी से रोहतक तक की यात्रा में अनेक स्थानों पर भारत यात्रियों का जम कर स्वागत किया जाता रहा।
उधर आज देहरादून से भारत यात्रा का काफिला मुज़्ज़फ़्फ़रनगर पहुंचा। मुज़्ज़फ़्फ़रनगर में भारत यात्रियों का जिला बाल अधिकार संरक्षण के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। यहां के स्कूली बच्चों को भारत यात्रा के महत्व और बाल यौन शोषण से अपनी सुरक्षा कैसे करें, के बारे में बताया गया। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की सुश्री शबाना रोजे ने बच्चों को बाल दुराचार के सिलसिले में गुड टच, बैड टच और “नहीं” कहने की जानकारी दी। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि पंजाब विश्वविद्यालय के 25 छात्र भारत यात्रा के कारवां से जुड़ गए हैं और जो भारत यात्रियों के साथ दिल्ली के समापन समारोह तक साथ रहेंगे।
मुज़्ज़फ़्फ़रनगर से भारत यात्री सीधे मेरठ पहुंचे जहां के मूनसाइन रिजॉर्ट में एक जनसभा हुई, जिसमें स्कूली बच्चे, उनके अभिभावक और स्थानीय लोग शामिल हुए। डीपीएस मेरठ की प्रिंसिपल श्रीमती सविता चडढ़ा ने सभा को संबोधित करते हुए भारत यात्रा की प्रशंसा की और कहा कि हौसले अगर बुलंद हों और इरादे नेक हों तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनका स्कूल श्री सत्यार्थी के अभियान के साथ है और हमारे स्कूल में पिछले एक सप्ताह से बाल हिंसा के सवाल पर तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए हैं। भाजपा के मेरठ जिलाध्यक्ष श्री शिव कुमार राणा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे समाज में परिवार एकाकी हो रहा है और सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है। इस कारण से भी बाल यौन शोषण के मामलों में बढोतरी हो रही है। सभा को जिला पंचायत सदस्य श्रीमती मिनाक्षी राणा और समाजसेवी सतेंद्र भराला ने भी संबोधित किया। मेरठ के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में भी बाल हिंसा के खिलाफ बच्चियों ने नुक्कड़ नाटक का मंचन किया, जो लोगों की आंखों को नम कर गया।
मेरठ से भारत यात्रा का कारवां गाजियाबाद के इनग्राहम स्कूल पहुंचा, जहां भारत यात्रियों का बच्चों ने भव्य सम्मान किया। यहां बाल हिंसा पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया, जिसमें बच्चों के मन में पैदा होने वाले सवालों के जवाब बेहद सरल भाषा दिए गए। बाल यौन शोषण से बचाव कैसे करें इसके बारे में भी बच्चों को जानकारी दी गई। पैनल डिस्कशन में मुख्य तौर पर सरोज कुमार यादव, लोकेंद्र कुमार, स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी, प्रो. मधु राजपूत और श्री रत्ना राज जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। बच्चों ने यहां भी सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। केएससीएफ के श्री आशुतोष मिश्रा ने यहां लोगों को“सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत” की शपथ दिलाई।
कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक से 11 सितंबर,2017 को शुरू हुई भारत यात्रा अब तक 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए लगभग 11,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुकी है। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में होगा, जहां भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और भारत को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने का स्वप्न देखने वाले नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी देश के अन्य गणमान्यों के साथ होंगे। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्य रखा गया है।